Saturday, 18 April 2015

मै यादों का........किस्सा खोलूँ तो,

मै यादों का 

किस्सा खोलूँ तो,

कुछ दोस्त बहुत 

याद आते हैं.

📼📼📼📼📼📼📼

मै गुजरे पल को सोचूँ        

तो,  कुछ दोस्त 

बहुत याद आते हैं.

📼📼📼📼📼📼📼

अब जाने कौन सी नगरी में,

आबाद हैं जाकर मुद्दत से.

मै देर रात तक जागूँ तो ,

कुछ दोस्त 

बहुत याद आते हैं.

📼📼📼📼📼📼

कुछ बातें थीं फूलों जैसी,

कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,

मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,

कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.

📼📼📼📼📼📼

सबकी जिंदगी बदल गयी

एक नए सिरे में ढल गयी

कोई girlfriend  में busy है

कोई बीवी के पीछे crazy हैं

किसी को नौकरी से फुरसत नही

किसी को दोस्तों की जरुरत नही

कोई पढने में डूबा है

किसी की दो दो महबूबा हैं

सारे यार गुम हो गये हैं

तू से आप और तुम हो गये है

📼📼📼📼📼📼📼

मै गुजरे पल को सोचूँ        

तो,  कुछ दोस्त 

बहुत याद आते हैं.

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